जानिए धनतेरस के महापर्व को......???

जानिए धनतेरस के महापर्व को....

आज धनतेरस का पवित्र महापर्व है.... जिसे ब्रह्माण्ड के पहले चिकित्सक ""धन्वन्तरी"" की याद में मनाया जाता है... क्योंकि, वस्तुतः स्वास्थ्य ही सबसे अमूल्य धन है...!

लेकिन सिर्फ इतना ही बताने पर... कुछ मूर्ख और अल्पबुद्धि के प्राणी ये प्रश्न कर सकते हैं कि...... भाई... अगर स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है तो... आज के दिन .... कोई दवाई वगैरह खाना चाहिए..... भला आज के दिन धातु की खरीददारी क्यों की जाती है....?????


इसीलिए.... आगे बढ़ने से पहले ...ये बताना परम आवश्यक है कि...... आज के ही दिन ..... मतलब .. आश्विन महीने के 13 वें दिन.... समुद्र मंथन के दौरान...... ब्रह्माण्ड के प्रथम चिकिसक .... भगवान् धन्वन्तरी ..... हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे...... और, ऐसी मान्यता है कि.... आज के दिन धातु घर लाने से.... उसके साथ अमृत के अंश भी घर आते हैं..... और, अमृत..... अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी होती है..... इसीलिए, आज धनतेरस के दिन दवाई ना खा कर..... धातु ख़रीदा जाता है..... क्योंकि, दवाई से तो बीमारी का तात्कालिक समाधान होगा ... जबकि अमृत घर लाने से... बीमारी ही नहीं आएगी...!

अब साथ ही मैं यह भी बताना चाहूँगा कि..... जिस किसी भी अत्यधिक पढ़े लिखे व्यक्तियों (???) को.... समुद्र मंथन की घटना काल्पनिक लगती हो.... वे बिहार राज्य के भागलपुर में स्थित ""मंदारहिल"" पर्वत को जा कर देख सकते हैं..... जो आज भी मौजूद है..... और उस पर... समुद्र मंथन के दौरान हुए रस्सी के (शेषनाग) रगड़ के निशान अभी तक मौजूद हैं...!

खैर आगे बढ़ते हैं......

धनतेरस के बारे में एक बहुत ही प्रचलित किवदंती यह भी है कि.....

राजा हिमा का एक 16 साल का पुत्र था... जो कि कुंडली के अनुसार अल्पायु था..... और, कुंडली के अनुसार शादी के चौथे दिन .. उसकी मृत्यु सर्पदंश से होनी थी...!

परन्तु... शादी के चौथे दिन .. उसकी युवा और चतुर पत्नी ने .... राजकुमार को कहानियां एवं गीत सुना कर उसे रात भर सोने नहीं दिया..... और, राजकुमार के चारो तरफ दीप प्रज्ज्वलित कर दिया.... साथ ही शयनकक्ष के बाहर.... सोने-चाँदी.. के सिक्कों की ढेर लगा कर रख दी.....!

विधि के विधान के अनुसार .... समय पर नागिन के रूप में यमदूत आए.... परन्तु, सोने-चाँदी के सिक्कों की चमक के कारण.. नागिन की आँखें चौंधिया गयी और वो आगे नहीं बढ़ पायी.... और वहीँ.... बैठ गयी.....(यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि... सांप बहुत तेज रोशनी में नहीं देख पाते हैं) .. और अगली सुबह वापस लौट गयी....!

इस तरह... राजकुमार की युवा पत्नी ने अपने चातुर्य एवं कौशल से उस मनहूस घडी को टाल दिया और....अपने पति को बचा लिया.... !

इसीलिए ... आज की रात को ""यमदीपदान"" के रूप में भी मनाया जाता है.... और, रात भर दीप जला कर ... बाहर जल रखा जाता है...!

ये तो हुई.... धनतेरस की कहानियां..... एवं, उसकी वैज्ञानिकता.....!


धनतेरस के दिन सोने और चांदी के बर्तन, सिक्के तथा आभूषण खरीदने की परम्परा रही है। सोना सौंदर्य में वृद्धि तो करता ही है, मुश्किल घड़ी में संचित धन के रूप में भी काम आता है। कुछ लोग शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के भी खरीदते हैं।

बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद और जरूरत भी बदली है इसलिए इस दिन अब बर्तनों और आभूषणों के अलावा वाहन, मोबाइल आदि भी खरीदे जाने लगे हैं। वर्तमान समय में देखा जाए तो मध्यमवर्गीय परिवारों में धनतेरस के दिन वाहन खरीदने का फैशन सा बन गया है।  इस दिन ये लोग गाड़ी खरीदना शुभ मानते हैं। कई लोग तो इस दिन कम्प्यूटर और बिजली के उपकरण भी खरीदते हैं।

रीति-रिवाजों से जुड़ा धनतेरस आज व्यक्ति की आर्थिक क्षमता का सूचक बन गया है। एक तरफ उच्च और मध्यम वर्ग के लोग धनतेरस के दिन विलासिता से भरपूर वस्तुएं खरीदते हैं तो दूसरी ओर निम्न वर्ग के लोग जरूरत की वस्तुएं खरीद कर धनतेरस का पर्व मनाते हैं। इसके बावजूद वैश्वीकरण के इस दौर में भी लोग अपनी परम्परा को नहीं भूले हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार यह पर्व मनाते हैं।


इसके साथ ही ... मेरे सभी मित्रो एवं उनके सम्पूर्ण परिवारजनों को...... अच्छे स्वास्थ्य एवं ढेर सारे धन प्राप्ति की कामना के साथ.... आज धनतेरस एवं आगामी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ....!

जय महाकाल...!!!
जानिए धनतेरस के महापर्व को......??? जानिए धनतेरस के महापर्व को......??? Reviewed by Mukesh Mali on 11/10/2012 08:22:00 PM Rating: 5

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