अमरनाथ शिवलिंग बनने का रहस्य! यहां विज्ञान भी है नतमस्तक. हिम शिवलिंग को लेकर हर एक के मन में जिज्ञासावश प्रश्र उठता है कि आखिर इतनी ऊंचाई पर स्थित गुफा में इतना ऊंचा बर्फ का शिवलिंग कैसे बनता है। इस बारे में विज्ञान ने भी अपने तर्क दिए हैं। तो हम जानते हैं कुछ रोचक तथ्य अमरनाथ गुफा, हिम शिवलिंग और उसके पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों को।
बाबा अमरनाथ की यह पवित्र गुफा भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के श्रीनगर से उत्तर-पूर्व दिशा में लगभग १४५०० यानि लगभग ३८८८ मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा लगभग १५० फीट क्षेत्र में फैली है और इसकी ऊंचाई करीब ११ मीटर है।
इसी गुफा में बर्फ के यानि हिम शिवलिंग बनते हैं। इस शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है। यह बूंदे इतनी ठंडी होती है कि नीचे गिरते ही बर्फ का रुप लेकर ठोस हो जाती है। यही बर्फ एक विशाल लगभग १२ से १८ फीट तक ऊंचे शिवलिंग का रुप ले लेता है। जो अनेक श्रद्धालूओं की श्रद्धा का केन्द्र है।
जिन प्राकृतिक स्थितियों में इस शिवलिंग का निर्माण होता है वह विज्ञान के तथ्यों से विपरीत है। यही बात सबसे ज्यादा अचंभित करती है। विज्ञान के अनुसार बर्फ को जमने के लिए करीब शून्य डिग्री तापमान जरुरी है। किंतु अमरनाथ यात्रा हर साल जून-जुलाई में शुरु होती है। तब इतना कम तापमान संभव नहीं होता।
इस बारे में विज्ञान के तर्क है कि अमरनाथ गुफा के आस-पास और उसकी दीवारों में मौजूद दरारे या छोटे-छोटे छिद्रों में से शीतल हवा की आवाजाही होती है। इससे गुफा में और उसके आस-पास बर्फ जमकर लिंग का आकार ले लेती है। किंतु इस तथ्य की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
धर्म में आस्था रखने वालों का मानते हैं कि ऐसा होने पर बहुत से शिवलिंग इस प्रकार बनने चाहिए। साथ ही इस गुफा में और शिवलिंग के आस-पास कच्ची बर्फ पाई जाती है, जो छूने पर बिखर जाती है। जबकि हिम शिवलिंग का निर्माण पक्की बर्फ से होता है। धर्म को मानने वालों के लिए यही अद्भूत बातें आस्था पैदा करती है। बर्फ से बनी शिवलिंग को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इसकी ऊंचाई चंद्रमा की कलाओं के साथ घटती-बढ़ती है।
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में बाबा अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की आस्थावश की गई भूल से शिवलिंग पूरा आकार न ले सका। क्योंकि हर श्रद्धालु बाबा के दर्शन पाकर भाव-विभोर हो जाता है। जिससे वह शिवलिंग को छूकर, धूप, दीपक जलाकर अपनी श्रद्धा प्रगट करता है।
जय बाबा बर्फानी अमरनाथ की जय हो...... जय माली समाज...........देवो के देव महादेव!!!!!!!
बाबा अमरनाथ की यह पवित्र गुफा भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के श्रीनगर से उत्तर-पूर्व दिशा में लगभग १४५०० यानि लगभग ३८८८ मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा लगभग १५० फीट क्षेत्र में फैली है और इसकी ऊंचाई करीब ११ मीटर है।
इसी गुफा में बर्फ के यानि हिम शिवलिंग बनते हैं। इस शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है। यह बूंदे इतनी ठंडी होती है कि नीचे गिरते ही बर्फ का रुप लेकर ठोस हो जाती है। यही बर्फ एक विशाल लगभग १२ से १८ फीट तक ऊंचे शिवलिंग का रुप ले लेता है। जो अनेक श्रद्धालूओं की श्रद्धा का केन्द्र है।
जिन प्राकृतिक स्थितियों में इस शिवलिंग का निर्माण होता है वह विज्ञान के तथ्यों से विपरीत है। यही बात सबसे ज्यादा अचंभित करती है। विज्ञान के अनुसार बर्फ को जमने के लिए करीब शून्य डिग्री तापमान जरुरी है। किंतु अमरनाथ यात्रा हर साल जून-जुलाई में शुरु होती है। तब इतना कम तापमान संभव नहीं होता।
इस बारे में विज्ञान के तर्क है कि अमरनाथ गुफा के आस-पास और उसकी दीवारों में मौजूद दरारे या छोटे-छोटे छिद्रों में से शीतल हवा की आवाजाही होती है। इससे गुफा में और उसके आस-पास बर्फ जमकर लिंग का आकार ले लेती है। किंतु इस तथ्य की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
धर्म में आस्था रखने वालों का मानते हैं कि ऐसा होने पर बहुत से शिवलिंग इस प्रकार बनने चाहिए। साथ ही इस गुफा में और शिवलिंग के आस-पास कच्ची बर्फ पाई जाती है, जो छूने पर बिखर जाती है। जबकि हिम शिवलिंग का निर्माण पक्की बर्फ से होता है। धर्म को मानने वालों के लिए यही अद्भूत बातें आस्था पैदा करती है। बर्फ से बनी शिवलिंग को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इसकी ऊंचाई चंद्रमा की कलाओं के साथ घटती-बढ़ती है।
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में बाबा अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की आस्थावश की गई भूल से शिवलिंग पूरा आकार न ले सका। क्योंकि हर श्रद्धालु बाबा के दर्शन पाकर भाव-विभोर हो जाता है। जिससे वह शिवलिंग को छूकर, धूप, दीपक जलाकर अपनी श्रद्धा प्रगट करता है।
जय बाबा बर्फानी अमरनाथ की जय हो...... जय माली समाज...........देवो के देव महादेव!!!!!!!
अमरनाथ गुफा में शिवलिंग बनने का रहस्य!
Reviewed by Mukesh Mali
on
4/05/2017 01:59:00 AM
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