सूरदास जयंती: जानिये सूरदास के बारे में

सूरदास का नाम कृष्ण भक्त कवियों में सबसे पहले लिया जाता है। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। 26 अप्रैल, गुरुवार को इनकी जयंती है।






सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गांव में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाद में ये आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में मतभेद है। प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया।




सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं -

1 सूरसागर - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं।
2 सूरसारावली
3 साहित्य-लहरी - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
4 नल-दमयन्ती
5 ब्याहलो

उपरोक्त में अन्तिम दो अप्राप्य हैं।
सूरदास जयंती: जानिये सूरदास के बारे में सूरदास जयंती: जानिये सूरदास के बारे में Reviewed by Mukesh Mali on 4/01/2017 07:17:00 AM Rating: 5

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